PCOD ke Lakshan

What is PCOD problem in females? पीसीओडी एक अध्येता विकार है, जो महिलाओं के अंडाशय में सिस्ट (फुली हुई थैली जैसे संरचनाएँ) के बनने के कारण होता है। इसका पूरा नाम “पॉलीसिस्टिक ओवरी डिज़ीज” (Polycystic Ovarian Disease) है। यह समस्या आमतौर पर युवावस्था से लेकर प्रजनन आयु की महिलाओं में देखी जाती है। हालांकि, इसके लक्षण व्यक्ति विशेष में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य और प्रमुख लक्षण हैं जो पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं में देखे जाते हैं:

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  1. प्रजनन क्षमता में कमी: PCOD problem में महिलाओं को अंडोत्सर्ग की समस्या होती है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है। महिलाओं को गर्भवती होने में दिक्कत हो सकती है, जो इस रोग से जुड़ी एक महत्वपूर्ण समस्या है।
  2. अंडाशय में सिस्ट: अंडाशय में छोटे सिस्ट (गाठें) बन जाते हैं, जिन्हें अल्ट्रासाउंड द्वारा पहचाना जा सकता है।
  3. वजन बढ़ना: पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं में वजन बढ़ने की समस्या आमतौर पर देखी जाती है। यह विशेष रूप से पेट के आसपास (विसरल फैट) वजन बढ़ने के रूप में दिखाई देता है। यह अध्येता असंतुलन (हार्मोनल असंतुलन) और इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है। असंतुलित आहार और व्यायाम की कमी से वजन और बढ़ सकता है, जो पीसीओडी के लक्षणों को और बढ़ा सकता है।
  4. अनियमित माहवारी:
    1. लंबा अंतराल: पीसीओडी के कारण मासिक धर्म का चक्र असामान्य हो जाता है। महिलाओं को माहवारी के बीच का समय लंबा हो सकता है, कभी-कभी यह 35 दिन या उससे भी अधिक हो सकता है।
    2. कम या अधिक रक्तस्राव: कुछ महिलाओं को भारी रक्तस्राव होता है, तो कुछ को अत्यधिक हल्का रक्तस्राव या कभी-कभी बिल्कुल ही माहवारी नहीं होती।
    3. मासिक धर्म का रुकना: कुछ महिलाओं में यह समस्या आती है कि वे कई महीनों तक माहवारी का अनुभव नहीं करतीं।
  5. अतिरिक्त बालों का उगना:
    1. पुरुष हार्मोन का बढ़ना: पीसीओडी के कारण शरीर में पुरुष हार्मोन (एंड्रोज़न) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे चेहरे, छाती, पेट और पीठ जैसे हिस्सों पर अतिरिक्त बाल उगने लगते हैं। यह बालों का उगना हिर्सुटिज़्म कहलाता है, और यह महिलाओं के लिए एक मानसिक और शारीरिक समस्या बन सकता है।
  6. मुँहासे और त्वचा पर बदलाव:
    1. महिलाओं में पीसीओडी के कारण अध्येता असंतुलन (हार्मोनल असंतुलन) होता है, जिससे मुँहासे की समस्या उत्पन्न होती है। मुँहासे आमतौर पर चेहरे, गर्दन, पीठ और कंधों पर होते हैं। इसके अलावा, त्वचा में अतिरिक्त तैलीयपन भी देखने को मिलता है, जो कि अधिक तेल उत्पादन के कारण होता है।

कारण

पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर) का मुख्य कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

  1. हार्मोन (अध्येता) असंतुलन: पीसीओडी का सबसे आम कारण हार्मोन असंतुलन है। इसमें शरीर में कुछ हार्मोन (जैसे एंड्रोजेन, इंसुलिन, और प्रोजेस्टेरोन) का स्तर सामान्य से अधिक या कम हो जाता है, जिससे अंडाशय की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।
  1. आनुवंशिक कारण: पीसीओडी के विकसित होने में आनुवंशिकी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। यदि किसी महिला के परिवार में उसकी माँ, बहन या अन्य करीबी रिश्तेदार को पीसीओडी है, तो उसके इस स्थिति से प्रभावित होने की संभावना अधिक हो सकती है।
  2. इंसुलिन प्रतिरोध: पीसीओडी का एक मुख्य कारण शरीर में इंसुलिन का सही उपयोग न कर पाना (इंसुलिन प्रतिरोध) है। जब शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन को सही तरह से उपयोग नहीं कर पातीं, तो इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है। इससे शरीर में अतिरिक्त वसा का संचय होता है और हार्मोन असंतुलन बढ़ सकता है।
  3. अस्वस्थ जीवनशैली और आहार: आजकल की अस्वस्थ जीवनशैली और अनुचित आहार पीसीओडी के प्रमुख कारणों में से एक माने जाते हैं। अत्यधिक तनाव, असंतुलित और पोषक तत्वों से रहित आहार, साथ ही नियमित व्यायाम की कमी, शरीर में हार्मोनल असंतुलन को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप न केवल वजन बढ़ने की समस्या उत्पन्न होती है, बल्कि शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध भी विकसित हो सकता है, जिससे पीसीओडी के लक्षण और गंभीर हो सकते हैं।
  4. अंडोत्सर्ग की समस्या:
    पीसीओडी में महिलाओं के अंडाशय (ओवरी) में छोटे-छोटे सिस्ट (गाठें) विकसित हो सकते हैं, जो अंडोत्सर्ग (Ovulation) की प्रक्रिया को बाधित करते हैं। इस स्थिति में अंडाशय अंडाणु (Egg) का उत्पादन तो करता है, लेकिन वह समय पर बाहर नहीं निकल पाता, जिससे मासिक धर्म अनियमित हो जाता है और गर्भधारण (Conception) में कठिनाई आ सकती है। इस प्रक्रिया में बाधा को डिंबक्षरण दोष (Ovulatory Dysfunction) कहा जाता है, जो पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं में आमतौर पर देखा जाता है।

PCOD problem treatment : समाधान और देखभाल

PCOD meaning in hindi, पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) महिलाओं में एक सामान्य समस्या है, जो उनके प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। हालांकि, इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही उपचार और जीवनशैली में सुधार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

हार्मोन संतुलन दवाइयाँ:

  • मासिक धर्म को नियमित करने वाली गोलियाँ – ये गोलियाँ हार्मोन संतुलन बनाए रखती हैं और मासिक धर्म को नियमित करने में मदद करती हैं। साथ ही, यह अतिरिक्त एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) के स्तर को कम करती हैं, जिससे चेहरे पर अनचाहे बालों की वृद्धि और मुँहासे कम होते हैं।

इंसुलिन नियंत्रण दवाइयाँ

  • मेटफॉर्मिन – मेटफॉर्मिन एक सामान्य दवा है, यह दवा शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद करती है, जिससे रक्त में शर्करा का स्तर संतुलित रहता है और अंडाशय में सिस्ट बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

एंटी-एंड्रोजन दवाइयाँ

  • स्पिरोनोलैक्टोन – यह दवा शरीर में अतिरिक्त एंड्रोजन हार्मोन के प्रभाव को कम करती है, जिससे बालों की असामान्य वृद्धि और मुँहासे जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) को बढ़ावा देने वाली दवाइयाँ

  • क्लोमिफेन – यह दवा अंडोत्सर्ग (अंडाणु के निकलने की प्रक्रिया) को उत्तेजित करती है। यदि किसी महिला को पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) के कारण गर्भधारण में कठिनाई हो रही है, तो क्लोमिफेन का उपयोग गर्भधारण में सहायता कर सकता है। यह अंडाशय को सक्रिय करके अंडाणु छोड़ने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है, जिससे प्रजनन क्षमता बढ़ सकती है।

जीवनशैली में सुधार

  • वजन प्रबंधन:

    पीसीओडी के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए वजन नियंत्रण बेहद महत्वपूर्ण है। अधिक वजन से इंसुलिन प्रतिरोध और हार्मोनल असंतुलन बढ़ता है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। इस प्रक्रिया से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित होता है और अंडोत्सर्ग की प्रक्रिया सुधरती है। व्यायाम में हल्की वॉक, योग, जिम और तैराकी शामिल हो सकती हैं।

  • आहार: 

    एक संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार पीसीओडी के लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। सही आहार शरीर में हार्मोन संतुलन बनाए रखने और इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद करता है।

  • मानसिक तनाव को कम करना:

    मानसिक तनाव और चिंता पीसीओडी के लक्षणों को और अधिक बढ़ा सकते हैं। योग, ध्यान और श्वास संबंधी तकनीकें तनाव को कम करने में प्रभावी हो सकती हैं, जिससे हार्मोनल संतुलन सुधारने और समग्र स्वास्थ्य बेहतर बनाने में मदद मिलती है।

सर्जरी

  • ओवेरियन ड्रिलिंग:

    जब दवाइयाँ और अन्य उपचार प्रभावी नहीं होते, तो ओवेरियन ड्रिलिंग नामक सर्जरी की जा सकती है। इस प्रक्रिया में अंडाशय की सतह पर छोटे-छोटे छिद्र बनाए जाते हैं, जिससे एंड्रोजेन (पुरुष हार्मोन) का स्तर कम होता है और अंडोत्सर्ग (अंडाणु निकलने की प्रक्रिया) में सुधार हो सकता है।

  • लैप्रोस्कोपी:

    यदि ओवेरियन ड्रिलिंग से लाभ नहीं मिलता, तो कुछ मामलों में लैप्रोस्कोपी जैसी सर्जिकल प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें छोटे चीरे लगाकर विशेष उपकरणों की मदद से अंडाशय में बने सिस्ट को हटाया जाता है, जिससे पीसीओडी के लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।

गर्भधारण के लिए उपचार

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  • यदि पीसीओडी के कारण महिला को गर्भधारण में कठिनाई हो रही है, तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी प्रजनन तकनीकों का सहारा लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया में अंडाणु को शरीर से बाहर निकालकर निषेचित किया जाता है और फिर उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है।

निष्कर्ष

PCOD kya hai?   (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर) एक हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी समस्या है, जो महिलाओं में अनियमित पीरियड्स, ओवुलेशन की समस्या और बांझपन का कारण बन सकती है।

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